सारंगढ़ । क्षेत्र के गांव रेगालमुड़ा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के 6 दिन कथावाचक उज्वल कृष्ण शास्त्री महाराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया, कहा कि – भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है । भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था की श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं । देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई । देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं । रुक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ।
वहीं लोगो ने हल्दी लगाकर एवं पूरे साज सज्जा हर्षोल्लास के साथ श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह किया गया । जहां सैकड़ों से भी ऊपर लोगो ने भगवान की अमृतमयी कथा का रसपान किए। वहीं आचार्य पंडित सत्यनारायण तिवारी जी के द्वारा श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का मंत्रोच्चार स्वस्ति वाचन करके पूजा अर्चना कराया गया । मुख्य यजमान सत्यनारायण पटेल श्रीमती चंद्रावती पटेल, श्रीमती इला कुमारी पटेल के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा कराया जा रहा है।