बच्चों को कुपोषण से कैसे बचाया जाए क्या क्या सावधानी बरतना चाहिए इस सबंध मे सारंगढ़ के राधाकृष्ण अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अभ्यंचल किशोर झा ने बताया कि यह एक ऐसी स्थिति है जहां बच्चों का शरीर विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों से वंचित होता है, जो स्वस्थ ऊतकों और अंग कार्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं।
WHO के अनुसार कुपोषण 3 प्रकार के होते हैं
हल्का कुपोषण
मध्यम कुपोषण
गंभीर कुपोषण
कुपोषण के लक्षण निम्न अनुसार हैं:-
दोनों पैरों में सूजन की उपस्थिति
वजन घटना
हाइपोग्लाइसीमिया
हाइपोथर्मिया (अल्पताप)
भूख में कमी
थकान होना
जलन होना
ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता
अवसाद
पेशियों की हानि
धीरे-धीरे घाव भरना
खाने पीने में विफलता
सीखने में समस्याएं
कर्कशता चिड़चिड़ापन
कुपोषण से निदान के उपाय:-
शीघ्र प्रारंभिक जाँच तथा शीघ्र प्रारंभिक उपचार कुपोषण के इलाज में अति आवश्यक कड़ी है
गंभीर स्थिति में तत्काल अस्पताल में भर्ती
2H और 1D का उपचार (हाइपोग्लाइसीमिया, हाइपोथर्मिया, निर्जलीकरण),सही इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस,संक्रमण के लिए प्रतिजैविक का प्रयोग,सूक्ष्म पोषक आहार का
पुनर्भरण प्रारंभ,पकड़ संवृद्धि को सुगम बनाना, भावनात्मक सहयोग प्रदान करना,
नियमित जाँच करना,