सर्वविदित है कि 5 दिनों बाद आगामी 1 नवंबर को राज्योत्सव का भव्य आयोजन किया जाएगा जिसमें राज्य के विकास में योगदान देने वाले कुछ विभूतियों का अलंकरण कर सम्मानित किया जाएगा लेकिन अभी तक एक विभूति को वह सौभाग्य नहीं मिला है और शायद इस वर्ष भी वह नाम छूट जायेगा ।वह नाम है मल्लू राम साहू जिनका छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण मे महत्त्वपूर्ण योगदान है।
जब छत्तीसगढ़ के इतिहास की चर्चा होती है तब समग्र चर्चा न कर सभी अपनी सुविधानुसार चर्चा करते हैं लेकिन मैं संक्षेप में समग्र के सारांश पर ध्यानाकर्षण चाहता हूं । छत्तीसगढ़ शब्द की चर्चा 400-500 वर्ष पुराने साहित्यों में मिलता है । कबीर पंथ के संस्थापक धनी धर्मदास जी को छत्तीसगढ़ी में काव्य रचना के लिए प्रथम कवि होने का गौरव प्राप्त है । दरबारी कवि द्वय बाबू रेवाराम पंडित और गोपाल कवि ने अपनी रचनाओं में छत्तीसगढ़ शब्द का उपयोग किया है । सन 1857 के गदर के पूर्व छत्तीसगढ़ का न कोई राजा था न ही प्रशासनिक ईकाई । अंग्रेजों ने गदर के बाद “छत्तीसगढ़ डिवीजन” बनाकर प्रथम प्रशासनिक ईकाई का निर्माण किया था । स्वतंत्रता सेनानी पंडित सुंदर लाल शर्मा जी को उनकी साहित्य रचनाओं के आधार पर प्रथम स्वप्न दृष्टा कहना अनुचित नहीं है । उस दौर में गुरु अगमदास, डॉक्टर खूबचंद बघेल, स्व रामगोपाल तिवारी, स्व जगन्नाथ साव प्रभृति सेनानियों ने संगठन बनाने का प्रयास किया था लेकिन वे विफल रहे । स्वतंत्रता उपरांत “सेंट्रल प्रविंस एंड बेरार” राज्य बना जिसके प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल एवं नेता प्रतिपक्ष ठाकुर प्यारेलाल सिंह बने थे । जब राज्यों के पुनर्गठन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई तब विधानसभा में ठाकुर प्यारेलाल सिंह एवं स्व लाल श्याम शाह ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की मांग उठाया था यद्यपि स्व लाल श्याम जी छत्तीसगढ़ में बालाघाट, सिवनी और मंडला को मिलाकर गोंडवाना राज्य बनाना चाहते थे लेकिन वे भी विफल रहे । सन 1960 के दशक में डॉक्टर खूबचंद बघेल जी ने “छत्तीसगढ़ भातृ संघ” का गठन कर राज्य निर्माण की मांग को दोहराया था । इस संगठन में उनके साथ स्व हरि ठाकुर, स्व रामाधार कश्यप, स्व परसराम यदु एवं श्री मल्लू राम साहू जैसे युवा कार्यकर्ता सक्रिय थे । सन 1965 में रायपुर में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रांतीय अधिवेशन में स्व जीवनलाल साव जी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण का प्रस्ताव रखा था जो पारित हुआ था । राज्य निर्माण की मांग को लेकर 28 जुन 1969 को मध्यप्रदेश विधानसभा में पर्चा फेंककर सनसनी फैलाया गया । इस कांड में स्व रामाधार कश्यप, स्व परसराम यदु के साथ श्री मल्लू राम साहू को गिरफ्तार किया गया था । इन तीनों वीर सेनानियों में से बलोदाबाजार जिला के लवन निवासी श्री मल्लू राम साहू जी अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में हमारे बीच हैं । श्री मल्लू राम जी का उत्साह और समाज के प्रति समर्पण मेरे जैसे लोगों के लिए प्रेरक रहा है ।
विगत वर्ष मैंने श्री मोतीलाल साहू जी एवं कुछ अन्य मित्रों के साथ 1 नवंबर को उनके लवन आवास में जाकर उनका अभिनंदन किया था । इच्छा है कि राज्य निर्माण में उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए आगामी 1 नवंबर को उनका पुनः अभिनंदन किया जावे ।
साभार
घनाराम साहू सह प्राध्यापक
महासमुंद / रायपुर